Wednesday, February 6, 2013

ओम प्रकाश छूंछा द्वारा सामूहिक विवाह पर दिया गया संबोधन

 खत्री समाज के अग्रगण्य समाजसेवी  एवं  उद्योगपति श्री ईश्वर भाई पड़िया द्वारा 

स्थापित  व संचालित ब्रह्मक्षत्रिय सम्पर्क समाज मुंबई के 35वें सामूहिक लग्नोत्सव 

की छटा ही निराली थी .नवप्रमुख श्री विजय एस ठाकुर की अगुवाई में हर वर्ष की 
\
भांति इस वर्ष भी अत्यंत सुन्दर, वैभवपूर्ण और रंगारंग  अन्दाज़ में संपन्न हुआ 

यह महोत्सव . 


अनेक प्रतिभाओं को सम्मानित किया गया तथा  नवविवाहित दम्पतियों को 

आशीर्वाद के साथ साथ घर-संसार का बहुत सा  सामान भी भेंट किया गया . 

इस मांगलिक अवसर पर संस्था के चेयरमैन श्री ओम प्रकाश छूंछा  ने एक 

सारगर्भित भाषण दिया जो निम्नप्रकार है : 

इस मांगलिक अवसर  के गौरवपुरुष आदरणीय समारोह अध्यक्षश्री
विजय एस ठाकुर जी,  मंचस्थ सुशोभित  सम्मानित सभी  विशिष्ट अतिथिजन,  ब्रह्मक्षत्रिय संपर्क समाज मुंबई के तमाम पदाधिकारी,  नव विवाहित आयुष्मान वर वधुओ,  दानदाताओ, सहयोगियों,  साथियों  और 35वें सामूहिक विवाहोत्सव के रूप में संपन्न इस मेगा मेगा मेगा इवेन्ट के साक्षी बने  आप समस्त देवियों, सज्जनों  व बालगोपाल का  मैं  ओम प्रकाश जेठमल छूंछा  अपनी और अपने परिवार  की ओर से हार्दिक स्वागत करता हूँ, इस्तेकबाल करता हूँ  तथा चेयर पर्सन के नाते इस आयोजन की ओर से आत्मिक अभिवादन और अभिनन्दन करते हुए बहुत बहुत बधाइयाँ  व  मुबारकबाद देता हूँ  तमाम नव दम्पतियों को  उनके अभिभावकों को तथा  ब्रह्मक्षत्रिय संपर्क समाज मुंबई  से जुड़े प्रत्येक बन्धु  बांधवों  व बुजुर्गों  और नौजवान साथियों को जिनके अथाह परिश्रम  और योगदान के बल पर यह आयोजन इतना सफल हो सका। इसी के साथ  मैं  ह्रदय पूर्वक  आभार व्यक्त करता हूँ  उन  उदार दानदाताओं  व प्रायोजक जन का  जिन्होंने  ज़बरदस्त उत्साह व उदारता पूर्वक आर्थिक  सहयोग देकर  इस स्वप्निल  कार्यक्रम को  शिखर तक पहुँचाया . 



सम्मानित न्याति बन्धुओ ! इलाहाबाद  के संगम में इन दिनों  महाकुम्भ का 
महापर्व  चल रहा है . लाखोंलाख  लोग वहां जमा होंगे  क्योंकि ऐसा  पावन 
अवसर 12 साल में  एक बार आता है . इस कारण इस मेले को  भारत का 
महानतम  धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव कहा जाता है  लेकिन  मैं समझता 
हूँ  ब्रह्मक्षत्रिय संपर्क समाज के सामूहिक विवाहोत्सव का यह मंगल कलश  उस 
महाकुम्भ से भी ज्यादा महत्वपूर्ण है . क्योंकि  उसमें तो अनेक लोग अक्सर 
अपनों से बिछड़  जाते हैं जबकि यहाँ  तो नए रिश्ते बनते हैं ,  यहाँ तो घर  
बसाए जाते हैं, यहाँ तो  उम्मीदों को  पंख दे कर  आकाश में  उड़ने का अवसर 
दिया जाता है . इसके अलावा वो कुम्भ तो  12 साल बाद आता है  लेकिन यह  
कलश तो  हर साल आता  है और आता ही रहेगा .....इस कलश की  स्थापना 
का यह 35 वां जलसा है  जिसके लिए आदरणीय  ईश्वर भाई पड़िया  व उनकी 
टीम  खूब खूब अभिनन्दन के  पात्र  हैं . एक बार ज़ोरदार तालियाँ बजा कर 
 
 इनका अभिनन्दन  करें . इन्होने  जो पावन परम्परा  कायम की है  हम उसे 
इसी प्रकार  सदा सदा जीवन्त  और उर्जामान रखेंगे, ऐसा संकल्प भी हमारे 
 मन में है .



देवियों और सज्जनों !  आज के  हालात में  सामूहिक  विवाह का  बड़ा महत्व 
है,  न केवल महत्व  है बल्कि  बहुत ज़रूरी हो गया है .  आज की इस 
हाहाकारी मंहगाई के दौर में  मिडिल क्लास  फैमिली के लिए  तथा 
अपेक्षाकृत  कमज़ोर वर्ग के लिए  तो सामूहिक विवाह एक वरदान है . 
कितने झंझट, कितनी तैयारी  और  कितना पैसा खर्च होता है आजकल 
 शादी में ....ज़रूरी नहीं कि हर व्यक्ति यह भार उठाने में सक्षम हो . 
इसलिए  सामूहिक विवाह  की यह प्रथा  अभिनन्दन योग्य है और प्रत्येक 
वर वधु के लिए अनुकरणीय है . आशा है जिस प्रकार  आज तक आप  
अपना उदार सहयोग देते आये हैं आगे भी देते रहेंगे  और  यहाँ  सामूहिक 
 लग्नोत्सव  मनते ही रहेंगे .



समय  की मर्यादा को देखते हुए, अधिक कुछ न कह कर   मैं अपने  शब्दों 
को यहीं विराम देता हूँ  और कुलदेवी  राजराजेश्वरी  माँ हिंगलाज से 
प्रार्थना करता हूँ  कि  नव विवाहित दम्पतियों के जीवन  में  सदैव  हर्ष, 
आनंद, समृद्धि, आरोग्य  और यश - कीर्ति  की  धारा प्रवाहमान रहे . 
आपने  मुझे समय  दिया और मुझे सुना  इसके  लिए  मैं आप सभी का  
आभारी हूँ 

धन्यवाद 
जय हिन्द - जय महाराष्ट्र  - जय जय राजस्थान 
बोलिए हिंगलाज मात की ............जय

ओम प्रकाश छूंछा द्वारा सामूहिक विवाह पर  दिया गया संबोधन

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जय हिंगुलाज